तकल्लुफ को रखकर परे,

चलो बेतकल्लुफ हो जाते हैं

बंद कर आँखों को अपनी

ख्वाब में खो जाते हैं

बेगानों की भीड़ और

बेक़दरों की इस दुनिया में

तुम हमारे बनो या ना बनो

चलो हम तुम्हारे हो जाते हैं

-राज कुमार कांदु

Hindi Shayri by राज कुमार कांदु : 111857983

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