बेटी गुड़िया
सर्द सुबह,सूरज दादा की नहीं है कोई खबर,
पलंग पर सोई है गुड़िया,मीठी नींद में बेखबर।
डिस्कस थ्रो की लाल डिस्क से,आते हैं सूरज,
माँग क्षमा देरी की,बिखेरते किरणों का असर।।1
जगाते हैं पापा गुड़िया को,"उठो सुबह हो गई,
तेरी दोस्त चिड़िया डाल पे,आके है बैठ गई।"
गिलहरी फुदकती शाखों पे,कहती "आ जाओ",
आहट से अलसाती गुड़िया की नींद खुल गई।।2
"हाथ मुँह धोलो गुड़िया,"रसोई से आई पुकार,
"आई मम्मा,क्या मेरी,चाय बिस्किट है तैयार?"
अँगुली पकड़े पापा की,गुड़िया छत पर चली,
खेलने तैयार है अब,बिटिया रानी होशियार।।3
बालिका दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं.......✍️
डॉ.योगेंद्र कुमार पांडेय
(स्वरचित कॉपीराइट रचना)