आंखोमे हरदम एक नमी सी रहती है
सब कुछ है फिर भी कमी सी रहती है,
दीन कट जाते है घर के काम मे
मगर रात जिंदगीके इंतजार मे रहती है
मजबूर लबोको हिलते नही देखा
मगर उसकी नजर सो दास्ताँ कहती है,
उनका दील कितना पाक होगा,
जीनकी आंखोमे हरदम गंगा बहती है़़

-Daxa Bhati

Hindi Poem by Daxa Bhati : 111854941

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