जोशीमठ:

अभी-अभी तो बाढ़ थमी थी
अभी अभी यह प्रलय कैसा,
किसने धरा पर छेद किया
कौन प्रलय का दाता था?

किस मिट्टी पर नगर बसा था
किसने मिट्टी खोदी थी,
कौन मठ का मठाधीश था
किसकी पूजा में खोट बड़ा था?

किसने पहाड़ पर धूल उड़ायी
कौन राह से भटका था,
किस व्यापारी में खोट बड़ा था
किस व्यापारी की चोट चटक थी?

नगर हमारा बड़ा प्यारा था
किसने इसको यों हिलाया?
बड़े मनोयोग से पूजा की थी
पर भस्मासुर तो निकट खड़ा था।

* महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111853970

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