कुंज गली में
वृंदावन में
बरसाने में शोर।
राधा वरने को आयो री
सखी री बाका नंद किशोर।
बात बात में रीझे रिझावे।
एसो माखन चोर।
कुंज गली में।...
ललिता विशाखा और सब सखियां।
राधा वर को देखे भरी अखियां।
नैन से देत हिलोर।
सखी री। आयो ब्रिज को चोर।
बाल ग्वाल सब संग सखा है।
वाकी बात को लपक उठावें।
एसो मगन विभोर।
सखी री।....
नंद यशोदा बलि बलि जावे।
आनंद उमग मनही मन भावे।
आयो वृंदा को चित चोर।
सखी री। .....

आनंद त्रिपाठी
लेखनी।

Hindi Poem by Anand Tripathi : 111851325

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