प्रचंड इस वेग में
यही तो एक बात है,
अखण्ड इस विचार में
प्रचंड राष्ट्र भाव है।

सहस्र बरसों की वेदना
वेदना ही उत्पत्ति है,
उठो,उठो भारती
दिव्य ही स्वभाव है।

चलो, कीर्ति पथ पर
असंख्य भाव भरे हैं,
इसी वेग के साक्षी
विजय ही स्वभाव है।

पूर्वजों के ऋण का
उऋण ही ताज है,
शक्ति ही सारथी
प्रचंड वेग ही महान है।

पवित्र पथ खुला हुआ
बढ़े चलो, बढ़े चलो,
उठो,उठो भारती
यही शुभ मुहूर्त है।

***महेश रौतेला
दिसम्बर २०१८

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111849320

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