हां मान लिया मैंने अर्जुन नहीं हूं मैं…!
हां मान लिया मैंने ये जीवन-जंग भारी है…!
परंतु मुझे अभिमन्यु बन ही लड़ना है…!
हर चक्रव्यूह तोड़ उससे निकलना है…!
अपनी दृढ़ता के अंगारों से हर व्यूह को पिघलाना है…!
अपनी मंजिल तक जाना है…!
हर लक्ष्य को पाना है…!
-Ankita Gupta