नहीं होता है विश्वास

कोई आ सकता इतने पास

अचानक जुड़ जाता है तार

गवाक्ष से झरता है मधुमास

अधूरा सा लगता है दिन

साँस हो ज्यों धड़कन के बिन

ईश का हो जैसे आशीष

सभी संबंधों में हो प्रीत !!



डॉ प्रणव भारती

Hindi Poem by Pranava Bharti : 111846460

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