मैं और मेरे अह्सास

रूह की चिड़िया का घोंसला शानदार है l
इसमें कहीं भी किसी के लिए नहीं खार है ll

जिंदादिली के साथ जीने का हुनर है भरा l
दिल हौसलों से भरपूर बहोत जानदार है ll

तबस्सुम से खिल उठा है आज चहेरा l
लबों से छलकता हर शब्द साज़दार है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

Hindi Poem by Darshita Babubhai Shah : 111834816

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