हम जितना भी खुद से
अलग कर लें किसी को
वो कभी भी हमसे पूरी तरह
जुदा नहीं हो पाता
रह जाता है वो थोड़ा सा ही सही
जाते - जाते भी थोड़ा सा
ज़हन में ही कहीं
हमारी आत्मा से जुड़ जाता है
लाख कोशिश कर लो फिर भी
अलग नहीं हो पाता
जब तलक हम जीते हैं
थोड़ा - थोड़ा वो भी
ज़रूर कहीं जी रहा होता है
हमारे संग..!

-अनुभूति अनिता पाठक

Hindi Poem by अनुभूति अनिता पाठक : 111832800

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