"तुम किताब पढ़ना और मैं तुम्हें"

तुम लफ़्ज़ों से ख़ूबसूरत
मैं उन पन्नो में बसने वाली,
तुम चांद की रौनक
और मैं उस रोशनी में खड़ी तुम्हारी इंतज़ार करने वाली,
तुम बारिश की बूंदो जैसी,
और मैं उन मोतियो को समेटने वाली।
तुम रात की आखिरी पेहर में मांगने वाली दुआ
और मैं उस दुआ की क़ुबूलियत का मुंतज़िर,
तुम उन कहानियों के राहुल जैसे
और मैं तुम्हारी अंजली होने के ख़्वाब देखने वाली,
ख़्वाहिश बस इतना सा
की तुम मेरे होना
और मैं तुम्हारी,
तुम किताब पढ़ना
और मैं तुम्हे।
@njali🤍
-Alone Soul

Hindi Poem by Alone Soul : 111832314
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

वाह, क्या बात है बहुत खूब...

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