“हे बलिदानी तुम्हें नमन, तुझसे ही है मेरा चमन, ऋणी देश का है जन-जन, तुम्हें नमन हाँ तुम्हें नमन।

हे शूरवीर बलिदान, तेरा व्यर्थ नहीं जाएगा, ड्रैगन का अंकारी राजा, शीघ्र ही घुटने पर आएगा, देश की रक्षा हेतु तेरा, भारत भू पर गिरा है तन, ऋणी देश का है जन-जन, तुम्हें नमन हाँ तुम्हे नमन।

दुश्मन के कदमों को, जब बढ़ने से रोका तुमने, कर्नल संतोष के नेतृत्व में, शत्रु को ठोका तुमने, चीनी अरि दल को रौंदा है, गर्व से कहता हर कण-कण।

ऋणी देश का है जन-जन, तुम्हें नमन हाँ तुम्हे नमन। हे माटी के लाल तुम्हें, भूलेगा कभी न भारतवर्ष, रोती माँ- पिता, भाई और बच्चे, तस्वीर को करे स्पर्श, उमड़ पड़ा अंतिम दर्शन को, व्यथित भारत का जन गण मन पीढ़ी देश का है जन-गण-मन ऋणी देश का है जन-जन, तुम्हें नमन हाँ तुम्हे नमन।” - © जतिन त्यागी

Hindi Poem by Jatin Tyagi : 111825605
Ghanshyam Patel 2 years ago

🇮🇳🇮🇳 Jay Hind 🇮🇳🇮🇳 🇮🇳🇮🇳 Vande Mataram 🇮🇳🇮🇳

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