मेरी बुद्धि भावना को बहला ले जाये ,
तुम सामने खड़े हो , पहचान न पाये तब भी,
मुझे विकल्प मे मत रखना , तब तक मुझे खुद
मे जकड़े रखना जबतक तुम्हे समझकर ,तुममे ही
मिल जाऊँ |
कविता (अंश से)

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111824879

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