बहुत अलग है हम दोनों,
तू खारा समुन्दर, मैं मीठी नदी सी,

तू आग मैं पानी सी,
तू जलता सूरज मैं फसल धानी सी,

तू ज्ञानी ध्यानी ,
तू चतुर सयाना,मुझे में है नादानी सी,

तू काली रात का रौशन
जुगनू,मैं रंगबिरंगी तितली सी,

इतने हैं विपरीत हम दोनों फिर
भी नहीं कोई बात हमारे बीच अन्जानी सी,

समाप्त...
सरोज वर्मा.....

Hindi Poem by Saroj Verma : 111824353
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

अनुपम कृति / हृदय स्पर्शी भावनाएं....

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now