बार बार मुझे ये समझाए सदा ए दिल

प्रेम के अंकुर निकले पर मिल न सके दो दिल

प्यार की शमा जली पर रौशनी हो न सकी

तेरी बदनसीबी मोहब्बत मुक़्क़मल हो न सकी

Hindi Shayri by S Sinha : 111822841

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