एक लड़की का बचपन से ही ‘किसी’ के प्रति अगाध स्नेह था । अपनी लेखनी एवं नाट्य के द्वारा से वह सदा उसके प्रति अपना स्नेह प्रदर्शित करती थी । समय के साथ - साथ उसका स्नेह और भी प्रगाढ़ होता चला गया । अब वह लड़की ‘उसके’ साथ हर जगह अपनी पहचान बना रही थी । वह जहाँ भी जाती , ‘उसके’ साथ अपना नाम देखकर फूली नहीं समाती थी । पर एक दिन .........
उसका साथ छूट गया । अब किसी और को उसका साथी बना दिया गया जिसके साथ वह असहज रहती थी । उसने नए साथी के साथ तालमेल बिठाने का भरसक प्रयास किया । नया साथी उस लड़की का साथ पाकर खुश है पर उस लड़की के मन में कसक बनी रहती है । वह प्रतिदिन उससे मिलने को लालायित रहती है , मनुहारें करती है पर फिर भी ना जाने क्यों ? मिलने के आसार कहीं नज़र ही नहीं आ रहे ।
उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

Hindi Thought by उषा जरवाल : 111819760

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