अज्ञान भरे अंधकारों में
ज्ञान कि रोशनी भरता है
वो परिश्ता अपना गुरू

रूके हुए पैरों में
शब्दोंसे ऊर्जा भरता है
वो परिश्ता अपना गुरू

भटक गे मंजिलों में
सही राह हमें दिखाता है
वो परिश्ता अपना गुरू

जीवन यात्रा को सफल
बनाने योग्य हमें बनाता है
वो परिश्ता अपना गुरू

छिपी हुई खुबियों को
परिचित सदा करवाता है
वो परिश्ता अपना गुरू

बी जों से उपर उठकर
वृक्षों सा बनना सिखाता है
वो परिश्ता अपना गुरू

आचरण में छुपी गंदगी को
विचारों से दूर कराता है
वो परिश्ता अपना गुरू

जीने का सही मकसद
आदर्शो से दिखाता है
जी ने को नयी पहचान
सपनों से देना सिखाता है
वो परिश्ता अपना गुरू

Hindi Poem by prajakta panari : 111818692
prajakta panari 2 years ago

खूप खूप धन्यवाद सर

Ghanshyam Patel 2 years ago

🙏🙏🙏🙏🙏

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