1 सजल
मात्रा -भार 15
पदांत-
समांत- आन

चलो चलाते हैं अभियान।
सुधरे-सँवरे हिन्दुस्तान।।

धर्म-कर्म का मर्म समझकर,
बनना है पहले इंसान।

लहू सभी का एक रंग का,
कैसे फिर बनता नादान।

भरते मरहम से हर घाव,
देते नमक-मिर्च का ज्ञान।

मानव ज्ञानी, बुद्धि विवेकी,
जग में मिले उसे सम्मान।

मानवता को रखें सलामत,
ऊँची मिलकर भरें उड़ान।

मजहब भर से बात न बनती,
भूखा अब भी पाकिस्तान।

मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "

Hindi Shayri by Manoj kumar shukla : 111816893

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