“नादाँ तमन्ना रेती में
उम्मीद की कश्ती खेती है
इक हाथ से देती है दुनिया
सौ हाथों से ले लेती है
ये खेल है कब से जारी
हाए, बिछड़े सभी बिछड़े सभी बारी-बारी
अरे, देखी ज़माने की यारी, बिछड़े सभी बारी-बारी

क्या लेके मिले अब दुनिया से
आँसू के सिवा कुछ पास नहीं
या फूल ही फूल थे दामन में
या काँटों की भी आस नहीं
मतलब की दुनिया है सारी
बिछड़े सभी, बिछड़े सभी बारी-बारी
अरे, देखी ज़माने की यारी, बिछड़े सभी बारी-बारी
बिछड़े सभी बारी-बारी”

Hindi Shayri by Umakant : 111815352

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