# हास्य रस

"अनमोल रस का तू स्रोत"

हर क्षण है इसका रस भरा
जब व्यंग उत्पन्न करे यह छैल छबीला
तोतले! तोतले बोल के ,
इंद्रधनुष के रंग बिखेरे
यह नन्हे से कन्हैया का रूप

भेंट करे नीरस जीवन में
एक ताजा सा फूल
कहे मैया मैं लाया गुलाब
परंतु था वह विशाल पौधा कुरूप
मुस्कुराती यशोदा सी मैया कहे
"तू है मूरख ! तू कहाँ से लाया यह अनमोल फूल"।

छनछन करता आचरण ,
चंचल मन कहे उसको की कर कोई कर्म अद्भुत
मैया के हाथ से झाड़ू ले चले औरों के घर में चलाने स्वच्छता का आंदोलन
" कि बचे ना कोई अब धूल।"

हास्य रस जहां अपनी पूर्ण सीमा पर चढ़ा मिले
उस भीड़ में ये किशोर करतब करता हुआ दिखे
तवर ! तवर नाचे घुंघरू डाल के कि उससे बड़ा नर्तक की और ना कोई होये

हास्य रस का मधुर मिलन जीवन के शिशु काल से मिले
मेघ जीवन में खुशियों के रस बरसाए
Deepti

Hindi Poem by Deepti Khanna : 111814292

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now