कनाडा यात्रा वृतांत (संशोधित रचना)

देश कनाडा में सभी, सभ्य सुसंस्कृत लोग ।
सद्गुण से परिपूर्ण हैं, करें सभी सहयोग।।

हाय हलो करते सभी, जो भी मिलता राह।
अधरों में मुस्कान ले, मन में दिखती चाह।।

कर्मनिष्ठ व्यवहार से, अनुशासित सब लोग।
नियम और कानून सँग, परिपालन का योग।।

झाँकी पर्यावरण की, मिलकर समझा देख।
संरक्षित कैसे करें, समझी श्रम की रेख।।

फूलों की बिखरी छटा, गुलदस्तों में फूल।
घर बाहर पौधे लगे, पहने खड़े दुकूल।।

हरियाली बिखरी पड़ी, कहीं न उड़ती धूल।
दिखी प्रकृति उपहार में, मौसम के अनुकूल।।

मखमल सी दूबा बिछी, हरित क्रांति चहुँ ओर।
शीतल गंध बिखेरती, नित होती शुभ भोर।।

प्राण वायु बहती सदा, बड़ा अनोखा देश।
जल वृक्षों की संपदा, आच्छादित परिवेश।।

प्रबंधन में सब निपुण, जनता सँग सरकार।
आपस में सहयोग से, आया बड़ा निखार।।

साफ स्वच्छ सड़कें यहाँ, दिखते दिल के साफ।
भूल-चूक यदि हो गई, कर देते सब माफ।।

तोड़ा यदि कानून जब, जाना होगा जेल।
कहीं नहीं फरियाद तब, कहीं न मिलती बेल।।

शासन के अनुकूल घर, रखते हैं सब लोग।
फूलों की क्यारी लगा, फल सब्जी उपभोग।।

रखें प्रकृति से निकटता,जागरूक सब लोग।
बाग-बगीचे पार्क का, करें सभी उपयोग।।

सड़कें अरु फुटपाथ में, नियम कायदा जोर।
दुर्घटना से सब बचें, शासन का यह शोर।।

भव्य-दुकानों में यहाँ, मिलता सभी समान।
ग्राहक अपनी चाह का,रखता है बस ध्यान।।

दिखे शराफत है यहाँ, हर दिल में ईमान ।
ग्राहक खुद बिल को बना, कर देते भुगतान।।

वाहन में पैट्रोल सब, भरते अपने हाथ।
नहीं कर्मचारी दिखें, चुक जाता बिल साथ।।

बाहर पड़ा समान पर, नजर न आए चोर।
लूट-पाट, हिंसा नहीं, राम राज्य की भोर ।।

फूलों सा सुंदर लगा, बर्फीला परिवेश।
न्याग्रा वाटर फाल से, बहुचर्चित यह देश।। 19

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Hindi Shayri by Manoj kumar shukla : 111812742

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now