*दोहा सृजन हेतु शब्द--*
*बदरी, बिजली, मेघ, चौमास, ताल*

1 बदरी
बदरी नभ में छा गई, लुभा रही चितचोर।
पानी की बूँदें गिरें, तब नाचे मन मोर।।

2 बिजली
बिजली चमकी गगन में, लरज रहे हैं नैन।
प्रियतम को पाती लिखी, लौटो घर तब चैन।।

3 मेघ
गरज चमक कर मेघ ने, भेजी है सौगात।
शीतल करने आ रही, मनभावन बरसात।।

4 चौमास
जब आया चौमास यह, है पुलकित मधुमास।
धरा प्रफुल्लित हो उठी, मिलकर खेलें रास।।

5 ताल
चौमासे का आगमन, सुनकर हैं खुशहाल।
ताल तलैया बावली, नाच उठी दे ताल।।

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111812342

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