लिखनेवालो ने क्या-क्या ना लिखा,, इश्क-मोहब्बत, दर्द-रुसवाई पर हजार-ओ-हजार लिखा,, लिख डाले नियम-कायदों पर पन्ने अनगिनत किसी ने,, तो रंग डाला काली स्याही से पोथी-किताबों को किसी ने,, पर कोई लिख ना पाया कारीगरी अपनो के अहसास छू पाने की,, क्यूँ नहीं किसी ने रिश्तों का सार लिखा,, कोई तो लिख देता कि कैसे सच्चा साबित रिश्तों में खुद को करे,, सब कुछ लिखा, हर बात पर हर बार लिखा,, पर ये रिश्तों को ईमानदारी और भरोसे में तौलने का कोई तरीका कयूँ ना किसी ने भी एक बार लिखा!!

-Khushboo Bhardwaj RANU

Hindi Thought by Khushboo Bhardwaj RANU : 111810527

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