*मनमीत,पारिजात,प्रपात,अंगार,उपवास*

1 मनमीत

मीत मिले मनमीत सा, जीवन में उल्लास।
हँसी-खुशी जीवन जिएँ, छा जाता मधुमास।।

2 पारिजात

पारिजात का वृक्ष यह, पावन पुण्य प्रसून।
खुशबू देता रात भर, महके महिना जून।।

3 प्रपात

विश्व पटल में है बड़ा, नियाग्रा जल प्रपात।
देख अचम्भित हैं सभी, करता सबको मात।।

4 अंगार

बरसाता अंगार जब, सूरज देता त्राण।
जिनके सिर पर छत नहीं, हर लेता है प्राण।।

5 उपवास।

भिक्षुक को भिक्षा नहीं, हो जाता उपवास।
लिखा भाग्य में है उसे, जीवन में संत्रास।

मनोजकुमार शुक्ल " मनोज "
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Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111809305

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