सुभोर स्नेहियों

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निर्वाक,मौन,स्तब्ध

फुदकती सी ,किलकती सी वह

ताज़ी सुगन्धित किशोरी पवन

ले जाती है मुझे

जाने कहाँ-कहाँ

बिठाकर सपनों के उड़न -खटोले में

सदियों से

आस से,प्यास से

तरसता भ्रमित मन

डोलने लगता है ----

और ---जैसे

सारा संसार डोलने लगता है |



डॉ. प्रणव भारती

Hindi Good Morning by Pranava Bharti : 111808528

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