बाहों के बंधन में बांधकर तुम्हें अपनी जी़दगी में कैद तो
हर कोई कर सकता है,
लेकिन तुम्हें शब्दों के बंधन में बांधकर अपनी कविताओं में
आजाद सिर्फ में रखूँगा...

Hindi Poem by બદનામ રાજા : 111806821

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