मन है मन्दिर ,
मन ही भगवन,
मन जीवन रुपी उपवन,
मन ही आशा ,
मन की अभिलाषा मॗदुल प्रीत बहे,
मन ही शक्ति, मन ही भक्ति ,
मन भाव संग प्रीत धरे |
मन ही नारी, मन ही नर है,
मन आकार गहे | मन है राधा ,
मन ही कृष्णा,
मन सीता संग राम रहे,
मन ही होना ,
मन ही खोना ,
मन ही शून्य धरे |
मन ही शिव है,
मन आपशिवा है,
मन ब्रम्हांड रचे |
#सिर्फ_तुम !
#तुममे_ही_सब
#तुम_ही_विश्वास_तुम_संशय
#तुम_ही_भगवती_भगवंता |

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111805870

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