तुझसे पूछे बिना ही ये दिल तेरी उम्मीद लगाये बैठा है
तेरी मर्ज़ी जाने बगैर ही ये दिल तेरा होके बैठा है
तेरी इज़ाज़त के बिना ही ये रब से तुझे मांग बैठा है

तु कैसा है क्या है तेरी पसंद नापसंद ये कुछ नहीं जानता
फिर भी ये तुझे अपना मान बैठा है

तु मुझे मेरी तरह चाहेगा या नहीं ये जाने बगैर ही
ये दिल तेरे सपने सजाये बैठा है।
-Chandrika Gamit

Hindi Shayri by Chandrika Gamit : 111805463

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now