एक वक्त था जब सोते थे तेरी बाहों में
और नींद से जागते थे रहकर आगोश में तेरी
फिर चाय की चुस्कियों संग बंटती थी बातें मेरी-तेरी
अब हो जाती है रात तुझे सोचते-सोचते
और सो जाते हैं यादों में तेरी
सुबह जागते हैं तो याद हो उठती है
वो वफ़ाएँ मेरी और वो झूठी बातें तेरी

-नादान लेखिका

Hindi Shayri by नादान लेखिका : 111804946

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