तुम्हे चाहिए था जिस्म हमारा
हमारे मन को तो तुमने कभी छुआ ही नही
हम भी बेवकूफ थे बहुत
तुम नोचते रहे आत्मा को हमारी
और हम ऐसे रहे जैसे कुछ हुआ ही नही।

-नादान लेखिका

Hindi Romance by नादान लेखिका : 111804944

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now