माँ को खेतों से
बेहद प्यार था,
चिलचिलाती धूप में
मूसलाधार बारिश में
झड़ों के दिनों में
खेतों में दिखती थी।
माँ को खेतों से
अद्भुत प्यार था,
वैसा ही जैसा उसे
अपने बच्चों से था।
वह समय की तरह थी
खेतों का विज्ञान जानती थी,
जब तक स्वस्थ थी
कभी नहीं थकती थी।
हर खेत का हिसाब रखती थी
लम्बे-चौड़े करोबार की
हिम्मत थी।
माँ अद्भुत थी
अपने बच्चों की राह
बहुत दूर तक देखा करती थी।
वह पहाड़ सी होगी
आकाश तक पहुँची
बर्फ से ढकी
नदियों सी बहती हुई।
माँ जब तक स्वस्थ थी
कभी नहीं थकती थी।
* महेश रौतेला
*** 08-05-2016**