थे कालपुरुष वो महाबली,
जिन पर जन-गण हो जाये बलि,
वे और नहीं कोई वीर कुंवर थे,
जिनसे ब्रिटिश की जड़ें हिली।
जीवन के घटनाक्रम अनन्त,
अस्सी पतझड़ अस्सी वसंत,
फिर भी हुंकारा निकल पड़े,
करने शत्रु का तुरत अन्त,
थी बूढ़ी हड्डी पर बलशाली,
थे कालपुरुष वो महाबली।
तात्याटोपे,हजरत महल,
रानी झांसी और वीर कुंवर,
दिल्ली से बहादुरशाह जफ़र,
अंग्रेजों पर यूं ढ़ाया कहर,
फिरंगी सेना तब बिखर गयी,
यों प्रथम लड़ाई परवान चढ़ी,
थे कालपुरुष वो महाबली।
नमन करें उस वीर पुरूष को,
जिनसे स्वातंत्र्य की दीप जली।
थे कालपुरुष वो महाबली,
जिनपर जन-गण हो जाये बलि।