13th April 1919
*भर गया वो प्रख्यात मौत का कूआँ भी
लाशें इतनी बिछाई थीं,
जलियांवाला बाग की माटी भी लाल हो गई
ना जाने कितनी धाराएँ रक्त की बहाई थीं,
लाख प्रयास भी विफल हो गए
डायर के बुझाने में
वो ज्वाला 'इन्कलाब' की जो लहू की लौ में
जलाई थी।। 🇮🇳🔥❤
JAI HIND 🙌🏻🇮🇳❤
✍🏻-श्रुति शर्मा