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मर्यादा पालन करने की शिक्षा लेनी हो तो प्रभु श्रीराम से बेहतर कोई उदाहरण नहीं हो सकता। कौन सी ऐसी मर्यादा थी जिसका पालन उन्होंने नहीं किया ? जनहित को उन्होंने हमेशा निज हित सर्वदा उपर रखा। परंतु कुछ संस्थाएं उनके नाम का उपयोग निजस्वार्थ सिद्धि हेतू कर रही हैं। निजहित को जनहित के उपर रखना उनके द्वारा अपनाये गए आदर्शो के विपरीत है। राम नाम का उपयोग निजस्वार्थ सिद्धि हेतु करने की प्रवृत्ति के विरुद्ध प्रस्तुत है मेरी कविता "क्या क्या काम बताओगे तुम"।

Hindi Poem by Ajay Amitabh Suman : 111796397

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