नव नूतन
नव हर्षोल्लास है
नव चेतन
नव कोपल, पलाश है ।।

दिल दिल में हर्ष है
भगवा का उत्कर्ष है
नौ दिन नौ याम है
माँ मंगला का वरदान है ।।

झूमा सारा गगन है
नव वर्ष का आगमन है
सजी रंगोली हर द्वार है
दिपक लौ में प्यार है ।।

हरी भरी टहनियां है
नव वर्ष की दुल्हनिया है,
चूं चूं की हर ओर आवाज है
प्रकृति में क्या ताल क्या साज है ।।

ना ठंड है ना गर्म है
देखो मस्त बहार नर्म है
सबका अपना अपना कर्म है
देखो सत्य सनातन हिंदू धर्म है ।।

#अनंत

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं मित्रों....

Hindi Poem by Anant Dhish Aman : 111796251

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