अभिव्यक्ति - प्रमिला कौशिक
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
कविता
* * * *
कविता ईश्वर की सौगात है।
कविता मेरे दिल की बात है।
कभी तो उलझा झंझावात है।
कविता कभी मन की घात है।
तो कभी दिल पर आघात है।
कविता मनोभावों का गात है।
जैसे वृक्ष से झरा कोई पात है।
कविता की बड़ी औकात है।
चाहे तो तन मन पे छा जात है।
मिश्रित हो जैसे दाल भात है।
किसी के दिल को देती मात है।
तो किसी दिल को जाती भात है।
ज़िंदगी का दिन कभी रात है।
कविता सच में एक सौगात है।
* * * * * * * * * * * * * * * * *