काश....
मुकम्मल हुआ करता,
सच्चा इश्क...
तो यूं जमाने में,
इश्क़-ए-दर्द लिए,
लोगों की महफ़िल ना होती।
होती खुशियां हर दिन..
तन्हा गमों की..
झड़ी ना होती...।
ए काश कि,
महोब्बत मुक़म्मल हुआ करती।।

Hindi Shayri by Rajesh Kumar : 111790116

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