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*चंदन की शीतलता की है अनुपम सुगन्ध।*
*नन्हें राम - कन्हाई मुस्काते जैसे मंद-मंद।।*
*प्रभु की शरण में सभी द्वारा खुले मित्रों।*
*बिन पूछे जाओ क्यों पालो अंतर्मन में द्वंद।।*
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-!~कृष्णा~!

Hindi Shayri by !~कृष्णा~! : 111787175

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