"हसरतों के शहर में सहर होते देखा है
खुशियों को ढूंढना है
हौसलों को कठिन होते देखा है
बमुश्किल से जो आया सौगात
उसे हसरतों के काबिल देखा है
अजी मिलता नहीं फतह ऐसे ही
मंजिलों पर *शब* को मिटते देखा है "
------#डॉ_अनामिका --

-डॉ अनामिका

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111784110

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