आज 30 जनवरी है. . .
इतिहास में दर्ज है, आज ही के दिन आज़ाद भारत में एक विरोधी 'नाथू राम गोड़से' ने महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
यह इतिहास का सच है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता, भले ही इसके पीछे बहुत से कारण रहे हों। देश में अब दो विचारधाराएं समांतर रूप से चल रही हैं। कौन कितना ग़लत था और कौन कितना सही था इस बात का निर्णय पूर्ण रूप कर पाना एक टेढ़ा प्रश्न बन गया है। हालांकि किसी भी हत्या को किसी भी सभ्य समाज में किसी भी तर्क से उचित नहीं ठहराया जा सकता लेकिन 'गांधी और गोडसे' ये सिर्फ दो नाम नही बल्कि दो अलग-अलग विचार बनते जा रहे हैं। गांधी विचारधारा को नकार पाना बहुत कठिज है और इसके सम्मुख 'गोडसे विचाधारा' को भी दबा पाना सहज नहीं है।
अतः आज का सत्य यही है कि इसका निर्णय तो अब व्यक्तिगत ही हो जाना चाहिए कि कौन व्याक्ति किसके विचारों के साथ है ?
लेकिन. . .
अंततः इस समर्थन-विरोध को किसी भी हालत में एक नए युद्ध का ज़रिया तो नहीं बनने देना चाहिए।
/वीर/