सच कहता हूं, कतई सच मत बोलना दोस्तो।
क्योंकि सच या तो कड़वा लगता है या जूठा।।
सहज वो ज़माना नही रहा हरिशचन्द्र या राम का।
युंकि आज कल शहद भी जुठ के स्वरूप में मिलता है।।

-સંદિપ જોષી સહજ

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