हिंद की सेना 

जिंदगी की हर नियामत छोड़ कर वतन चुना
ठुकरा दी जिसने दौलतें बस देश-ए-रतन चुना
जान की बाजी लगाई और खून के कतरे न गिने
नमन-नमन वीरों तुमने तो माँ-भारती हर जतन चुना

नमन मेरा ऐ वीर कि तुमने जीवन ही दाँव लगा दिया
पत्थर-काँटों से डर कैसा जब मौत गले से लगा लिया
वो शौर्य तेरा जाँबाजी तेरी वो आँखों में माँ की सूरत
कटा शीश पर गर्व नयन में हर पत्थर दिल को रूला दिया

गर्व तेरा कायम रखने की अब कसम नई पीढ़ियों पर है
तेरे रक्त की कीमत से  वतन तरक्की की सीढ़ियों पर है
सीमाएँ सुरक्षित, देश सुरक्षित, शहादतों की चर्चा हवाओं में
वंदन तुम्हारा, आँखें हुईं नम,यादें बिखरी इन वीथियों पर है

मौलिक एवं स्वरचित

श्रुत कीर्ति अग्रवाल
shrutipatna6@gmail.com

Hindi Poem by श्रुत कीर्ति अग्रवाल : 111780754
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

अति सुन्दर प्रस्तुति

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