जाने तुझे कैसे कोई माने तुझे कैसे कोई , दुत्कार सब लाचार है , मुर्दों का यह संसार है , जिन्दा बचे दो चार है सपनो का यह संसार है | जागा नही सब सो रहे ,भागा नही खो रहे , सब लिप्त व्यभिचार है , हर ओर अंधकार है |

-Ruchi Dixit

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111780031

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