तू जो भी है संकेत दे ! सानिध्य दे या मेट दे !!
आया हुआ तू देह मे छाया हुआ तू गेह मे , तू क्यों कहे है वासना मै कर रही हूँ वासना , आसक्ति न छलदम्भ है , यह प्रेम क्या पाखण्ड है ? पहले भी था तू अब ही क्या ? जो दिख रहा वह सब ही क्या ? आने मे थी न शर्त तो जाने की कर्ता शर्त क्यों ? भूला है अपनी भावना , पाने को पावन , पावना | तू प्रेम का आधार था मनभावना का सार था | क्या है तू अब यह जान ले क्या था उसे पहचान ले |

-Ruchi Dixit

Hindi Poem by Ruchi Dixit : 111780019

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