#Azadi आज़ादी

हम तन से आज़ाद है
लेकिन..
मन की आज़ादी से नहीं

कहने के खातिर, दिखाने के खातिर
यहां सच्चाई को हर पल, हर दिन
दबाया-मरोड़ा- कुचला जाता है
हक़ की लड़ाई कानून के शिकंजे में ही
चिल्ला-चिल्लाकर दम तोड़ देती है
न उम्मीद मिली, न न्याय मिला ।

बस हर तरह जलीलता का व्यवहार मिला
सत्ता भूखे दौगले व्यवसाय में फंस कर
मतलबी-फरेबी-ढोंगी- बेइमान बन बैठे
कुर्सी चाहत में रोज पार्टिया बदलते है
वैसे हर दिन कपड़े तरह ब्यान बदलते है
कैसे करें जनता भरोसा ऐसे नेताओं पर
जो गिरगिट की तरह रंग बदलते है ।

हमें आज़ादी संघर्ष, शहादत से मिलीं
पर ये सत्ताधारी देश लूट-लूटकर खा गए ,
काला चिट्ठों का हिसाब लगाएं इतना कम पड़ जाए
एक ही थाली के चट्टे-बट्टे भ्रष्टाचार का ज़लज़ला लेकर
भोली-भाली जनता को जुबानी जुमले से उल्लू बनाते रहें ।

यक़ीनन आज़ादी तभी मिलेंगी ,
जब जनता एकसाथ हुंकार भरेंगी
बेगैरत-बेइमान-बेपैन्दी के खिलाफ़ ,
मैदान-ए-जंग का खुलेआम ऐलान करेंगी
तभी असलियत में विचारों की आज़ादी मिलेंगी ।

- शेखर खराड़ी इड़रिया
तिथि-१९/१/२०२२

Hindi Poem by shekhar kharadi Idriya : 111778880
shekhar kharadi Idriya 2 years ago

दिल से धन्यवाद 💐

shekhar kharadi Idriya 2 years ago

दिल से बहुत धन्यवाद 💐💐

shekhar kharadi Idriya 2 years ago

दिल से धन्यवाद 💐💐

shekhar kharadi Idriya 2 years ago

दिल से धन्यवाद 💐💐

shekhar kharadi Idriya 2 years ago

दिल से धन्यवाद 💐💐

Sakshi 2 years ago

क्या बात बिल्कुल सही कहा

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