उसके सिवा कुछ दिखायी नहीं देता
मेरी आँखों से पर्दा हटा दो यारों।
बड़ा मीठा होता है स्वाद झूठ का
स्वाद सच का भी चखा दो यारों।
दोस्ती के लिबास में दुश्मन भी आयेंगे
जरूरतों को थोड़ी सी हवा दो यारों।
झोपड़ी महल बनते देर नहीं लगती
अपने हौंसलों को जुबां तो दो यारों।
कितनों महल जमींदोज़ हो गये यहां
अहंकारों को अपने रवां होने दो यारों।
सारे रस्मों रिवाज़ तोड़ कर आयेगी
इश्क़ को थोड़ा और जवां होने दो यारों।
-रामानुज दरिया