"सबकुछ बदल गया है या ये कहो की फिर वही पहुँचे जहाँ से चले थे किन्तु रास्ते की थकन , बेबसी , अन्तः घुटन बर्दाश्त नही कर पा हृदय कि अब कुछ नही बचा |" द्वन्द
-Ruchi Dixit

Hindi Story by Ruchi Dixit : 111778025

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now