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बुद्धिविवेक प्रतिपल उसकी हो रही न्यून,

दान-दया से परे लोभ-लालच में जकड़।

मानव मन बड़ा ही अख्ज़ आता नज़र,

सिर्फ पाने की चाहत ही रखी है जकड़ ।

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सड़ी गली वस्तुओं से ही मा़त्र, नहीं आती है यहाँ चरायंध। 

गर दूषित हो सोच विचार, तो इत्र से भी नहीं जाती दुर्गंध।

* अर्चना सिंह जया

Hindi Quotes by Archana Singh : 111776227

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