टपरी की चाय तुम रेस्टोरेंट में चाहोगे!
अपनी महबूबा के साथ यहां कैसे आओगे!!

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मिडिल क्लास स्टूडेंट, रेस्टोरेंट में नही
अक्सर टपरी में जाते हैं!
उन्हें महबूबा के साथ, साथ
पढ़ने के लिए थोड़ा पैसे बचाते हैं!

जा सकते हैं रेस्टोरेंट में ऐसा नहीं
पर वो स्वाद और महबूबा का साथ
को वो भूल नहीं पाते!

मेरा बस तुम्हे देखना और मुस्कराना
और तुम्हारा वो झट से पिघल जाना
और हमारी चाय पे बाते!

टपरी के सामने, रेस्टोरेंट्स वे स्वाद सा लगता है
देसी मुर्गी विलायती बोल , भाव सा लगता हैं!!
-maya

Hindi Poem by Maya : 111776037

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