मिलते है लोग यहां भात भात के
नही है कोई एक जैसे
कोई है उल्टी माला जपने वाले
कोई है सीधी माला जपने वाले
कोई खुद के लिए जीता है
कोई दुसरो के लिए जीता है
है ऐसा ये जमाना
रंगीन बेमिसाल
अतरंगी🌻😊🌻

-Shree...Ripal Vyas

Hindi Poem by Shree...Ripal Vyas : 111775341

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